सत्य यह है कि देश कोई भी हो श्वेत हो या अश्वेत हो लंबा हो या नाटा हो उपर हो या नीचे हो शिक्षित हो या अशिक्षित हो किताब तो वही है, तो फिर काम वही करना है जो किताब में लिखा हो ( कुछ लोग इसे तृप्त करने मे लगे हैं, अरे मुर्खो वो तुम्हारी बहन बेटी मा, तुम्हारी संपति, तुम्हारी स्वतंत्रता चाहते हैं क्या तुम ये सब दे सकोगे ? ये सब देने के बाद भी वो तृप्त नहीं होंगे तुम इतिहास नही पढ़ते और दुसरो को भी संकट मे डाल रहे हो)

 सत्य यह है कि 

देश कोई भी हो

श्वेत हो या अश्वेत हो

लंबा हो या नाटा हो

उपर हो या नीचे हो

शिक्षित हो या अशिक्षित हो

किताब तो वही है, तो फिर काम वही करना है जो किताब में लिखा हो

( कुछ लोग इसे तृप्त करने मे लगे हैं, अरे मुर्खो वो तुम्हारी बहन बेटी मा, तुम्हारी संपति, तुम्हारी स्वतंत्रता चाहते हैं क्या तुम ये सब दे सकोगे ? ये सब देने के बाद भी वो तृप्त नहीं होंगे तुम इतिहास नही पढ़ते और दुसरो को भी संकट मे डाल रहे हो) 




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